“छपास रोगियों” का होगा पक्का इलाजः बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने दिए सख्त कार्यवाही करने के आदेश

आयोग की अध्यक्ष बोलींः अस्मिता के खिलवाड़ किसी भी सूरत में नहीं करेंगे बर्दास्त

  • वाहवाही लूटने के लिए निर्दोष पिता के खिलाफ दर्ज करा दिया था पॉक्सो एक्ट में मुकदमा, अखबारों में भी छपवा दी खबर
  • मेडिकल जांच में नहीं हुई दुष्कर्म की पुष्टि, अध्यक्ष ने सदस्यों के सिर फोटा ठीकरा, बोलीं जल्दबाजी में जारी किया प्रेसनोट

TISMedia@Kota सियासी रसूखों के सहारे राजनीतिक नियुक्तियां पा उनकी आड़ में अपना कल्याण करने वाले कोटा बाल कल्याण समिति के सदस्यों पर गाज गिरना तय है। अखबारों में अपने नाम की खबर छपवाने की हड़बड़ी में बिना जांच किए एक निर्दोष पिता को उसी की बेटी का “रेपिस्ट” बना डालने वाले समिति के सदस्यों के खिलाफ राजस्थान राज्य बाल कल्याण आयोग ने गुरुवार को कड़ी कार्यवाही करने के आदेश जारी किए हैं। 

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कोटा की बाल कल्याण समिति के सदस्यों को “छपास” का ऐसा रोग लगा कि न सिर्फ एक पिता बल्कि मासूम बच्ची और उसके पूरे परिवार की जिंदगी को नर्क बना डाला। 11 साल की बच्ची सड़क पर घूमते क्या मिली, बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने कोई जांच किए बिना ही उसके पिता को “बेटी का रेपिस्ट” घोषित कर डाला। मंगलवार को जब मामले का खुलासा हुआ तो कोटा बाल कल्याण समिति ( Kota CWC) की अध्यक्ष कनीज़ फातिमा ने माफी मांग मामले को रफा दफा करने की कोशिश की, लेकिन राजस्थान राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लिया। 

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कलक्टर को दिए कार्यवाही के आदेश
राजस्थान राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने TIS Media को बताया कि कोटा में बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने प्रेस नोट जारी कर निर्दोष पिता को उसकी ही बेटी के दुष्कर्म के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। जबकि मेडिकल जांच में आरोपों की पुष्टि नहीं हुई। घटना बेहद गंभीर है और इससे पूरे परिवार की समाज में छवि धूमिल हुई है। इस प्रकरण को आयोग ने बेहद गंभीरता से लिया है। जिला कलक्टर उज्जवल राठौर को पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए गए हैं। जिला कलक्टर को निर्देश दिए गए हैं कि तीन दिन में जांच पूरी कर दोषियों को चिन्हित करें। इतना ही नहीं जिला कलक्टर को स्पष्ट निर्देष दिए गए हैं कि इस प्रकरण में जो भी लोग दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ जल्द से जल्द और सख्त से सख्त कार्यवाही कर आयोग को तत्काल इसकी सूचना भी दें।

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बेहद शर्मनाक घटना 
राजस्थान राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने TIS Media से बात करते हुए कहा कि कोटा में हुई यह घटना बेहद गंभीर है। इससे न सिर्फ बाल कल्याण समिति के काम करने के तरीकों पर सवाल उठा है, बल्कि बच्चों के कल्याण के लिए स्थापित की गई बेहद अहम संस्था की विश्वसनीयता को भी तगड़ा धक्का लगा है। जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम सच जानने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि पता चल सके कि किस स्तर पर गलती हुई। इस बात की भी जांच की जाएगी कि कहीं बच्ची को डराया-धमकाया तो नहीं गया। वहीं इस बात की भी जांच की जाएगी कि आखिर मेडिकल जांच रिपोर्ट आने से पहले अखबारों को किसने प्रेस नोट जारी किया और अखबारों ने भी अधिकारिक लोगों से घटना की जानकारी लिए बगैर कैसे खबर छापी। इस मामले में जो भी और जिस भी स्तर पर दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। 

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