VMOU: अराजकता के खिलाफ छात्रों ने बोला हल्ला, कुलपति को घेरा
- न परीक्षाएं हो रहीं और न ही आ रहे, परिणाम महीनों से नहीं मिल रहा जवाब
- छात्रों को स्टडी मैटेरियल नहीं मिलने से पढ़ाई में हो रहीं दिक्कतें
TISMedia@Kota वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (VMOU) में फैली अराजकताओं के खिलाफ गुरुवार को छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में जमकर हंगामा किया। राजस्थान के कई जिलों से आए छात्रों ने कुलपति का घेराव कर घंटों प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी की परीक्षा समय पर आयोजित नहीं हो रही। जो एग्जाम दिसंबर 2021 में होना था वह अभी तक हुआ ही नहीं है। यही हाल रहा तो जून 2022 में होने वाली परीक्षा अक्टूबर-नवंबर से पहले नहीं हो पाएगी। यूनिवर्सिटी की इस लापरवाही के कारण उनका पूरा साल ही खराब हो जाएगा।
9 महीने बाद भी नहीं जारी हुआ रिजल्ट
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बताया कि जून 2021 में हुईं कई परीक्षाओं का परिणाम अभी भी जारी नहीं किया गया। सभी कोर्सेज में आंतरिक मूल्यांकन के समय पर स्टूडेंट द्वारा जमा असाइनमेंट की जानकारी भी प्रशासन होने से इंकार कर रहा है। समय पर सभी के प्रैक्टिकल एग्जाम भी नहीं हो पा रहे। स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि कई विद्यार्थियों को तो परीक्षा परिणामों में कुछ सब्जेक्ट में जीरो अंक दिए हैं जो कि समझ से परे हैं इनका दोबारा से मूल्यांकन करना चाहिए।
21 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा
संभाग स्तरीय रीजनल सेंटर के जरिए समय पर स्टूडेंट को कोई सूचना भी नहीं मिलती और ना ही समस्या का समाधान होता है। कुलपति प्रो गोदारा का घेराव कर छात्रों ने उन्हें 21 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। स्टूडेंट्स ने कुलपति को चेतावनी दी कि समय रहते समस्याओं का समाधान न हुआ तो कैम्पस पर ताले डाल देंगे। कुलपति ने स्टूडेंट्स को आश्वासन दिया कि परीक्षण जल्द से जल्द आयोजित करवा ली जाएगी और अन्य समस्याओं को भी दिखाया जाएगा।
न कॉपी ही छपी, न किताबें
छात्रों के प्रदर्शन के दौरान परीक्षा और प्रकाशन विभाग से जुड़े लोगों ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस बार छपाई का काम नए ठेकेदार को देना चाहता था, लेकिन आंतरिक विरोध के कारण टेंडर ही फाइनल नहीं हो सका। ऐसे में न कॉपियां छप सकी और न किताबें। कॉपियां न छपने के कारण परीक्षा टालनी पड़ी और किताबें न छपने के कारण स्टडी मैटेरियल नहीं भेजा जा सका। वहीं असाइनमेंट की प्रक्रिया बिना बोम की इजाजत के ऑनलाइन कर दी गई। विरोध होने पर ठेकेदार का भुगतान रुका तो पूरी व्यवस्था ही पटरी से उतर गई।