सांसों पर सियासतः सरकारों ने उड़ाया मौत का मजाक, ऑक्सीजन थी तो फिर क्यों मरे हजारों लोग  

ऑक्सीजन के सवाल पर जनता की अदालत में घिरे सभी सियासी दल, किसी के पास नहीं है कोई जवाब

  • ऑक्सीजन की कमी से कोरोना काल में हुई मौतों का राज्यों ने नहीं दिया कोई आंकड़ा
  • केंद्र ने इसी आंकड़े के आधार पर दिया संसद में जवाब, अब धींगामुस्ती में जुटे सिसायसतदार

TISMedia@Kota. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बेहद खौफ भरी खबर आई कि पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। जिसने सुना वह सन्न रह गया। सोशल मीडिया पर आगरा से लेकर दिल्ली और कोटा से लेकर मुम्बई तक की तस्वीरें तैरने लगीं। कांग्रेस से लेकर सपा और बसपा जैसे सियासी संगठन तक मैदान में ताल ठोकने लगे। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा भी संसद में दिए गए इस जवाब से सकते में थी, लेकिन जब पलटवार हुआ तो विपक्ष घुटनों पर आ गया। दो दिन से सांसों पर हो रही सियासत ने एक चीज तो साफ कर दी कि हमाम में सारे सियासी दल नंगे ही हैं। अब इस नंगई से कैसे जीता जा सकता है यह आम हिंदुस्तानी को सोचना और समझना होगा।

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कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय का संसद में दिया गया जवाब।

 

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राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार से पूछा था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों की मौत हुई? वेणुगोपाल के इस सवाल का मोदी कैबिनेट से हाल ही में जुड़ीं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीन पवार ने मंगलवार यानि 20  जुलाई को राज्य सभा में लिखित जवाब दिया। जवाब पढ़ते ही समूचा विपक्ष बल्लियां उछलने लगा।

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हड़बड़ी में हुई गड़बड़ी
आनन-फानन में स्वास्थ्य राज्य मंत्री का जवाब मीडिया में बांट दिया गया। मीडिया संस्थानों ने भी आव देखा न ताव ब्रेकिंग चला दी… कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई किसी की मौत। मानसून सत्र के पहले दिन से ही ताल ठोक रहे विपक्ष ने भी हाहाकार मचा दिया। टीवी से चिपका हर आम हिंदुस्तानी हैरत में पड़ गया कि आखिर कोई सरकार इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है। वह भी इतनी बड़ी त्रासदी पर जहां सैकड़ों मौत हमारे आसपास ही ऑक्सीजन की कमी से हुई हों। महीने भर तक कंधे पर ऑक्सीजन के सिलेंडर टांगे लोगों को कई किलोमीटर लंबी कतारों में खड़े देखा। सरकार तक लिक्वड सिलेंडर से भरे टैंकरों की छीना झपटी करने से पीछे नहीं हट रहीं थी। कोटा से छीनकर जयपुर ले जाए गए लिक्वड ऑक्सीजन सिलेंडर हमने खुद ही देखे थे।

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अब फंसे गुलफाम
मामले ने असल तूल तब पकड़ा जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को निहायत नकारा और असंवेदनशील बताते हुए ट्वीट कर दिया। इस ट्वीट में उन्होंने एक न्यूज एजेंसी की खबर का हवाला दिया था, न कि अपनी ही पार्टी के सवाल पूछने वाले सांसद केसी वेणुगोपाल को मिले जवाब का। राहुल गांधी के बाद तो हर दूसरा कांग्रेसी ट्वीट और प्रेस कांफ्रेंस करता नजर आया, लेकिन फजीहत तब हुई जब भाजपा ने पलटवार करते हुए समूचे विपक्ष से राज्य सभा में सरकार की ओर से दिए गए जवाब को पढ़ने की नसीहत दे डाली। मीडिया संस्थानों को अपनी चलाई खबरों पर शक हुआ और तब जाकर उन्होंने वह जवाब पढ़ा।

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पलटवार से हुए हलकान
स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीन पवार की ओर से केसी वेणुगोपाल के सवाल के बदले राज्य सभा में दिए गए जवाब में साफ लिखा है कि कोरोना गाइड लाइन के मुताबिक किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपने यहां ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत का कोई आंकड़ा नहीं भेजा है। ऐसे में जब तक राज्य यह आंकड़ा नहीं भेजते तब तक हम नहीं कह सकते कि ऑक्सीजन की कमी से किसी राज्य में किसी कोरोना पीड़ित की मौत हुई है। इतना ही नहीं किसी भी राज्य ने अपने यहां ऑक्सीजन की कमी के बारे में केंद्र को रिपोर्ट तक नहीं किया गया। इसी जवाब में उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली हर में राज्यों की मांग के अनुरूप देश भर के अस्पतालों को 3095 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन दी गई थी, लेकिन इसके मुकाबले दूसरी लहर के दौरान 9000 मीट्रिक टन लिक्वड ऑक्सीजन की सप्लाई की गई।

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आखिर जिम्मेदार कौन
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश भर में सैकड़ों लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है। तकरीबन हर शहर और राज्य में ऑक्सीजन की कमी के बाद मचे तांडव को न सिर्फ लोगों ने नंगी आंखों से देखा है बल्कि मुर्दाघरों के बाहर बिछी लाशों की लंबी कतारों के गवाह भी बने हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर राज्यों के पास आक्सीजन की कमी नहीं थी तो फिर उन्होंने अस्पतालों को समय से ऑक्सीजन सप्लाई क्यों नहीं की? और उससे भी बड़ा सवाल यह कि यदि ऑक्सीजन की कमी थी जैसा कि हम लोगों ने देखा तो फिर राज्य सरकारों ने केंद्र को रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी? क्या मार्च और अप्रैल के महीनों में सांसों पर सियासत की गई और ऐसा है तो चिताओं पर किसी एक ने नहीं बल्कि सभी सियासी दलों ने अपनी अपनी हांड़ी चढ़ाई। ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में केंद्र को घेर रही कांग्रेस शासित राज्यों छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र ने फिर क्यों हलफनामे दिए कि उनके राज्यों में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी? क्यों दिल्ली की सरकार केंद्र के सुर में सुर मिला रही है और मंत्री सत्येंद्र जैन मोर्चा खोले हुए हैं? वहीं केंद्र सरकार के बचाव में जुटी भाजपा शासित यूपी और एमपी की सरकारें कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी का रोना रो दहाड़ें मार रही थीं वह अब ऑक्सीजन का कोटा फुल होने का दावा क्यों कर रही हैं।

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