देखिए, कोटा आकर कैसे बदली मजदूर परिवार की किस्मत, अब बेटा डॉक्टर और बेटी बनेगी इंजीनियर

कोटा. लॉकडाउन में समय के सदुपयोग की एक बानगी सामने आई है। उत्तरप्रदेश के आगरा में आटा मिल में काम करने वाले त्रिलोकचंद के बेटे यश अग्रवाल ने कोटा के एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ( Allen Career Institute ) में पढ़कर मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट क्रेक करते हुए ऑल इंडिया 89 रैंक हासिल की और कोविड-19 के चलते लॉकडाउन लगने के बाद घर जाकर अपनी छोटी बहन कीर्ति को पढ़ाया। साथ ही उसे जेईई-मैंस क्रेक करवाई। उसे फिजिक्स और केमिस्ट्री यश ने पढ़ाई और मैथ्स उसने यूट्यूब से पढ़ी। अब कीर्ति ने 88 पर्सेन्टाइल हासिल की और आगरा के दयालबाग इंजीनियरिंग कॉलेज की सिविल ब्रांच में एडमिशन मिल चुका है।

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यश ने बताया कि मेरे पिता त्रिलोकचंद अग्रवाल आटा मिल में मजदूर हैं, जिनकी 8 हजार रुपए महीना पगार है। परिवार में माता-पिता एवं हम तीन भाई-बहिन हैं। मां मीनू अग्रवाल गृहिणी है। परिवार की स्थिति ऐसी है कि कोटा जाकर पढ़ाई करना सपना जैसा था। मेरी रुचि बॉयो में थी और डॉक्टर बनने की ख्वाहिश थी। सभी ने कहा कि नीट की तैयारी के लिए कोटा से अच्छा शहर कोई नहीं है। पापा भी चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं इसलिए उन्होंने कोटा चलने को कहा। दोनों बहनों की स्कूल फीस जमा कराने से तंगहाली थी। ट्रेन की रिजर्वेशन जितने भी पैसे नहीं थे, जनरल का टिकट लेकर कोटा रवाना हुए। हम दोनों ट्रेन में कपलिंग पर बैठकर किसी तरह कोटा पहुंचे।

टॉप-3 में रहता था ताकि स्कॉलरशिप मिले
यश ने बताया कि मैंने 10वीं कक्षा 96.6 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की थी। आगरा के सेंट जोर्जेस स्कूल ने मुझे कक्षा 3 से लेकर 10वीं तक बिल्कुल निशुल्क पढ़ाया था। फिर 12वीं कक्षा 97 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में मंथली माइनर टेस्ट में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक एवं टॉप 3 रैंक लाने वाले स्टूडेंट्स को 6 हजार रुपए मासिक स्कॉलरशिप दी जाती है। मैं हमेशा टॉप 3 रैंक में रहता था। इसलिए स्कॉलरशिप के पैसों से कमरे का किराया और खाने का खर्चा निकल जाता था।

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एलन ने की मदद
यश ने बताया कि कोटा में खर्च चलाना मुश्किल था, लेकिन पहले वर्ष स्कॉलरशिप से बहुत मदद मिली। इसके बाद जब दूसरे वर्ष कोचिंग करने की बात आई तो एलन ने 80 प्रतिशत शुल्क में रियायत दी। इस सपोर्ट से मुझे फिर से पढऩे की हिम्मत मिली और मेरा सपना पूरा हुआ। एमबीबीएस के बाद यश कार्डियोलॉजी में स्पेशलाइजेशन करना चाहता है।

लॉकडाउन का असली फायदा मिला
इस बार पूरी तरह से परीक्षा के लिए तैयार था। फिर कोरोना आ गया, लॉकडाउन लग गया। मैं घर चला गया और वहीं से परीक्षा की तैयारी करने लगा। एलन फैकल्टीज से लगातार संपर्क में था। घर गया तो छोटी बहन कीर्ति ने भी जेईई-मेंस का फार्म भरा हुआ था। लॉकडाउन के दौरान जब खुद पढ़ता तो कीर्ति को भी कैमेस्ट्री और फिजिक्स पढ़ा देता, मेरा भी रिवीजन हो जाता । इसके बाद मैथ्स कीर्ति ने यू-ट्यूब से पढ़ी। उसकी भी अच्छी तैयारी हुई और पहले ही अवसर में उसने 88 पर्सेन्टाइल हासिल कर इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया।

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फैल रहा शिक्षा का उजियारा
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने बताया कि एलन का यही उद्देश्य है कि शिक्षा का उजियारा घर-घर तक फैले, प्रतिभाओं को उनका मुकाम मिले। यश का उदाहरण भी कुछ ऐसा ही है, जो न सिर्फ खुद पढ़ा बल्कि घर जाकर अपनी बहन को पढ़ाया और आज दोनों का कॅरियर बना, माता-पिता का भी सपना पूरा हुआ है। कोटा के संस्कार इसी तरह शिक्षा का उजियारा फैलाते रहेंगे।

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