VMOU: अब खेलोगे और पढ़ोगे तभी बनोगे नवाब: प्रो कुहाड़
युवा अधिकारिता एवं खेलों के विकास पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभाव विषय पर हुआ एक दिवसीय वेबीनार
- वीएमओयू कुलपति प्रो आरएल गोदारा ने की वेबीनार की अध्यक्षता
TISMedia@Kota वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय में बुधवार को ‘‘युवा अधिकारिता एवं खेलों के विकास पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभाव‘‘ विषय पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार की अध्यक्षता वीएमओयू के कुलपति प्रो आरएल गोदारा ने की। मुख्य वक्ता केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के पूर्व कुलपति आरसी कुहाड़ रहे। अपने उद्बोधन में प्रो कुहाड़ ने कहा कि शिक्षा से ही हम सभी में राष्ट्रीयता का भाव आता है और इसी से हम अपने मानव जीवन को परिभाषित कर पाते हैं।
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वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय में बुधवार को ‘‘युवा अधिकारिता एवं खेलों के विकास पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभाव‘‘ विषय पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार को संबोधित करते हुए यह बात मुख्य वक्ता और केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के पूर्व कुलपति आरसी कुहाड़ ने कही। अपने उद्बोधन में प्रो कुहाड़ ने कहा कि शिक्षा से ही हम सभी में राष्ट्रीयता का भाव आता है और इसी से हम अपने मानव जीवन को परिभाषित कर पाते हैं। वेबीनार की अध्यक्षता वीएमओयू के कुलपति प्रो आरएल गोदारा ने की।
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प्राचीन शिक्षा पद्धति पर प्रकाश डालते हुए प्रो कुहाड़ ने कहा कि युवाओं के समग्र विकास के लिए गुरूकुल शिक्षा काफी प्रभावी थी। नई शिक्षा नीति को दूरदर्शी बताते हुए प्रो कुहाड़ ने कहा कि इस नीति में काफी संरचनात्मक बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा पाठ्यक्रमों में बड़े बदलाव करने होंगे तभी नीति के उद्देश्यों का हासिल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि कोर्स की संरचनाओं के आधार पर डिग्री और प्रमाण पत्र देने बात इस नीति का खास विशेषता है। उन्होंने कहा कि समग्र रूप से इस शिक्षा नीति के ज्यादातर बिंदु युवाओं को इंपावर करते हैं।
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डिजीटल शिक्षा पर फोकस करते हुए प्रो कुहाड़ ने कहा कि अब गांवों तक इसे पहुंचाया जा रहा है। अकादमिक क्रेडिट बैंक के बारे में उन्होंने कहा कि यह योजना वास्तव में हर विद्यार्थी के फायदे की है और कहीं से कोर्स करके विद्यार्थी इसे अपने खाते में जमा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कौशल विकास पर जोर देने की जरूरत है और तभी हम आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना कर सकते हैं। प्रो कुहाड़ ने कहा कि यह अच्छा कि अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में कराई जाएगी और कई राज्यों ने इसकी घोषणा भी कर दी है और इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कोर्सेज क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार किए जाएं।
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उन्होंने कहा कि अब वो पुराना जुमला बदल गया है, अब हो गया है कि खेलोगे, पढ़ोगे तो बनोगे नवाब। अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो गोदारा ने कहा कि युवाओं के लिए इस शिक्षा नीति के दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं के समग्र विकास को ध्यान में रखकर ही नीति बनाई है। कार्यक्रम का संचालन डॉ कपिल गौतम ने किया और उन्होंने अतिथियों का परिचय भी कराया। वेबीनार के बारे में डॉ आलोक चौहान ने प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन निदेशक सतत शिक्षा डॉ सुबोध कुमार ने किया। प्रतिभागियों के बीच सवाल-जवाब का दौर भी हुआ। वेबीनार में 26 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।