लापता हुई कांग्रेस दफ्तर की चाभी, शहर जिलाध्यक्ष बोलेः हम नहीं करते ऐसी ‘छिछोरपंती’

  •  देहात जिलाध्यक्ष ने लगाया चाभी न देने का आरोप, सड़क पर मनाई इंदिरा गांधी की जयंती
  • शहर जिलाध्यक्ष ने झाड़ा पल्ला, बोले मेरे पास कभी नहीं रही कांग्रेस दफ्तर की चाभी

कोटा. कांग्रेस की अंदरूनी रार ‘दफ्तर की चाभी’ की आड़ में फिर सड़क पर आ गई। कोटा ग्रामीण जिलाध्यक्ष ने शहर जिलाध्यक्ष पर चाभी न देने का आरोप लगा, कांग्रेस कार्यालय के बाहर सड़क पर ही इंदिरा गांधी की जयंती का आयोजन कर डाला। वहीं, शहर जिलाध्यक्ष आरोपों से इस कदर झल्लाए कि इसे कोरी नाटकबाजी करार देते हुए यहां तक कह गए कि हम ऐसी ‘छिछोरपंती’ नहीं करते।

कांग्रेस में प्रदेश से लेकर जिले तक गुटबाजी चरम पर है। आलम यह है कि पार्टी के आला पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर भी भिड़ गए। कांग्रेस की कोटा ग्रामीण जिला इकाई ने गुरुवार को गुमानपुरा स्थित पार्टी कार्यालय पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती का कार्यक्रम रखा था।

लापता हुई चाभी

कोटा ग्रामीण जिलाध्यक्ष सरोज मीणा ने बताया कि बुधवार को उन्होंने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कार्यालय मंत्री संतोष से चाभी मांगी, लेकिन उन्होंने बताया कि चाभी शहर जिलाध्यक्ष रविंद्र त्यागी के पास है। जब रविंद्र त्यागी से चाभी मांगी तो उन्होंने चाभी होने से मना कर दिया। गुरुवार सुबह भी चाभी मांगी गई, लेकिन चाभी देना तो दूर किसी ने यह तक नहीं बताया कि आखिर वह है किसके पास?

सड़क पर मनाई जयंती

चाभी न मिलने से नाराज कोटा ग्रामीण जिलाध्यक्ष ने कार्यकारणी के सदस्यों के साथ पार्टी कार्यालय के बाहर सड़क पर ही इंदिरा गांधी की जयंती का आयोजन कर डाला। कोटा कांग्रेस की धड़ेबाजी सड़क पर आने की खबर लगते ही पार्टी पदाधिकारियों में हड़कंप मच गया। सरोज मीणा ने इसकी शिकायत पार्टी के आला पदाधिकारियों से की है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल सभी ने चुप्पी साधना ही बेहतर समझा।

आरोपों से भड़के त्यागी

कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष सरोज मीणा के आरोपों से कांग्रेस शहर जिलाध्यक्ष रविंद्र त्यागी इस कदर भड़क गए कि उन्होंने इसे नाटकबाजी करार दे डाला। त्यागी ने कहा कि पूरा शहर जानता है कि पार्टी कार्यालय की चाभी मेरे पास कभी नहीं रही। कार्यालय मंत्री संतोष के पास चाभी रहती थी, लेकिन उनके परिवार में परेशानी होने के कारण चाभी पवन मीणा ले गए। चाभी फिलहाल उन्हीं के पास है। सरोज मीणा वाकई में कोई आयोजन करना चाहती थी तो वह कार्यालय के बाहर श्रंगी जी के घर से भी चाभी ले सकती थी। वहां भी दफ्तर की एक चाभी रहती है। लेकिन, उन्हें आयोजन की बजाय नाटकबाजी करनी थी। इसीलिए यह सब किया गया। त्यागी इस कदर आपा खो बैठे कि आखिर में उन्होंने यहां तक कह दिया कि ‘हम ऐसी छिछोरपंती नहीं करते।‘

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