सत्य-पाल: जानवर मरे तो शोक संदेश भेजते हैं, 250 किसानों की मौत पर मुंह सिल लेते हैं
किसान आंदोलन को लेकर अपनी ही सरकार पर बिफरे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक
दिल्ली. किसान आंदोलन के 112 वें दिन ही सही, लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी के भीतर से भी समर्थन में आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं। आलम यह है कि भाजपा के दिग्गज नेता और राज्यपाल जैसे पदों पर बैठे लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। मुखालफत की आवाज एक बार फिर उठी है राजस्थान से और आवाज उठाने वाले कोई बल्कि वही सत्यपाल मलिक हैं। जिनकी वजह से टिकैत की गिरफ्तारी पर सरकार को कदम पीछे खींचने पड़े थे।
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एमएसपी पर क्यों नहीं बनाते कानून
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपनी ही पार्टी भाजपा और उसके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के तल्ख टिप्पणी की है। मलिक का मानना है कि किसानों का आंदोलन जितना लंबा चलेगा उतना ही पार्टी ही नहीं देश को नुकसान है। किसान आंदोलन अब खत्म हो जाना चाहिए। किसान अपनी जगह ठीक हैं क्योंकि एमएसपी ही असल मुद्दा है। सरकार यदि इसे कानून का हिस्सा बना लेती है तो सारी मुसीबत ही खत्म हो जाएगी। लेकिन, सरकारी नुमाइंदे इसकी पैरवी तो खूब करते हैं, लेकिन कानून का हिस्सा बनाने के सवाल पर चुप्पी साध जाते हैं। इससे उनकी नीयत पर सवाल उठती है। जो बवाल की असल जड़ है। नीयत साफ है तो फिर एमएसपी को बनाएं कानून का हिस्सा।
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राज्यपाल हूं, बिचौलिया नहीं
किसान आंदोलन को लेकर चल रही खींचतान को खत्म करने के लिए जब उनसे पूछा गया कि आप किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता क्यों नहीं करते? मलिक ने इसका तल्ख लहजे में जवाब देते हुए कहा कि मैं राज्यपाल हूं कोई बिचौलिया नहीं हूं। गवर्नर का पद संवैधानिक पद होता हैं। जिसमें आप फैसले तो कर सकते हैं लेकिन, बिचौलिया नहीं बन सकते।
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हृदयहीन है सरकार
इसके बाद सत्यपाल मलिक इस कदर उखड़ गए कि अपनी ही अपनी ही पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पड़ी करते हुए बोले “एक कुतिया मर जाती है तो नेताओं के शोकसंदेश आ जाते हैं, लेकिन आंदोलन में अब तक 250 से ज्यादा किसान मर चुके हैं और किसी के मुंह से सांत्वना का एक शब्द तक नहीं निकला।“ यह हृदयहीनता है। किसान अपना घर बार छोड़कर यहां बैठे हैं। उनकी मुश्किलों का हल निकालना चाहिए।
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किसानों का सत्यानाश हो रहा है
सत्यापाल मलिक ने साफ कहा कि वह तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में किसानों के साथ खड़े हैं। उन्होंने बताया कि सरकार तो कभी की किसान नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी होती। राकेश टिकैत समेत कई की गिरफ्तारी तो मैने खुद रुकवाई है। आंदोलन खत्म न होने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि दरअसल केंद्र सरकार में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो किसानों का दर्द समझ सके। आलम यह है कि विरोध की वजह को समझे बिना ही फैसले किए जा रहे हैं। जिनसे किसानों का सत्यनाश हो रहा है। यह देश के लिए सबसे बुरा दौर है। जब तक किसानों का भला नहीं होगा, देश का भी भला नहीं हो सकता।
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तीर्थ करना है तो झुंझनूं आओ
दिल्ली जाते समय मलिक कुछ देर के लिए झुंझुनूं रूके। यहां आने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि यह शहीदों की धरा है। इसके कण-कण में तप भरा है। झुंझनूं से ज्यादा शहादत किसी जिले ने नहीं दी। इसलिए साफ कहता हूं कि तीर्थ करने की बजाय झुंझुनूं के गांवों में जाओ। शहीदों की पत्नी, मां और बच्चों से मिलो। उनका सानिध्य पाओ। इतना पुण्य मिलेगा कि कहीं और मत्था टेकने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।