Video : कोटा निगम : हंगामा है क्यों बरपा….
TISMedia@Kota. दक्षिण नगर निगम की बोर्ड बैठक में हंगामे के बाद भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों के दिग्गजों के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। जहां भाजपा के वार्ड पार्षद विवेक राजवंशी ने महापौर पर नियम विरूद्ध कार्य करने का आरोप लगाया है। वहीं, पलटवार करते हुए महापौर राजीव अग्रवाल ने कहा कि यदि कार्य नियम विरूद्ध हैं तो 7 दिन बाद क्यों याद आए। कुछ इसी तरह के आरोप-प्रत्यारोप सामने सामने आए हैं। पढि़ए, राजवंशी के सवालों के महापौर अग्रवाल ने दिए जवाब….
सवाल : विवेक राजवंशी (पार्षद)
1. नगर पालिका एक्ट के तहत हम महापौर को शक्तियां देना चाहते थे लेकिन वे क्यों शक्तियां नहीं लेना चाहते? बिना पावर के वे कुछ भी नहीं कर सकते।
2. परिचय, स्वागत व समान्य ज्ञान पर चर्चा के लिए ही बैठक करनी थी तो 10 दिन में भी कर सकते थे, इसके लिए 2 महीने क्योंï?
3. निगम में लगे सभी अफसरों को नगर पालिका एक्ट की जानकारी ही नहीं है। आधे-अधूरे ज्ञान रखने वाले अफसरों को क्यों लगा रखा ?
4. सदन में भाजपा पार्षदों को अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया। जैसे ही वे कुछ बोलते तो कांगे्रस पार्षद बीच-बीच में शोर मचाकर क्यों महौल खराब करते।
5. सदन में बोर्ड संचालन की शक्तियों के संबंध में क्यों बात नहीं की गई ?
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जवाब: राजीव अग्रवाल (महापौर)
1. जिस दिन पद की शपथ ली जाती है उसी दिन महापौर को तमाम शक्तियां मिल जाती है तथा जनता की भलाई से संबंधित सभी कार्य कर सकते हैं।
2. पहली बैठक स्वागत, परिचय, सामान्य विषयों पर चर्चा के लिए ही होती है। नियम के अनुसार यह बैठक दो माह में कभी भी कर सकते हैं।
3. निगम में लगे सभी अफसर पिछले भाजपा बोर्ड के समय से ही कार्य कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कईं बोर्ड बैठकें देखी हैं। ऐसे में उन्हें आधा-अधूरा ज्ञान कैसे हो सकता है।
4. सदन में दो भाजपा पार्षद एक साथ बोल रहे थे, इससे संबंधित जनप्रतिनिधि की बात समझने में दिक्कत हो रही थी। इसीलिए, कांगे्रस पार्षद ने एक-एक कर अपनी बात रखने को कहा था।
5. बैठक की सूचना 7 दिन पूर्व ही मौखिक व लिखित रूप से दे दी गई थी। यदि सदन में इस संबंध में चर्चा करने को कहा जाता तो जरूर की जाती।