घूसकांड के आरोपी बारां पूर्व कलक्टर राव की जमानत खारिज, कोर्ट ने की ये तल्ख टिप्पणी

– जज ने की कड़ी टिप्पणी : अभियुक्त गवाहों को धमका व साक्ष्यों से कर सकता है छेड़छाड़

कोटा. पेट्रोल पम्प की एनओसी जारी करने के बदले ली गई 1.40 लाख की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार बारां के पूर्व कलक्टर इंद्रसिंह राव ( former Baran collector Indra Singh Rao ) को एसीबी कोर्ट ( ACB Court ) ने तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आरएएस अफसर राव ( IAS Indra Singh Rao ) की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। विशिष्ट न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ( Judge Pramod Kumar Malik ) ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, आरोपी राव ने राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की अवहेलना की है। यदि, उन्हें जमानत का लाभ दिया जाता है तो वह गवाहों को प्रताडि़त कर सकते हैं और साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।

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तत्कालीन कलेक्टर इंद्र सिंह राव पर उनके सहायक महावीर प्रसाद नगर के माध्यम से परिवादी गोविंद सिंह के पेट्रोल पंप की एनओसी जारी करने की एवज में 1.40 लाख की रिश्वत लेने का आरोप है। नागर को यह राशि लेते हुए एसीबी ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। साथ ही रिश्वत राशि भी जब्त की। पीए महावीर नागर ने एसीबी को पूछताछ में स्वीकार किया था कि उसने यह रिश्वत पूर्व कलक्टर राव के कहने पर ली थी। इसमें से 1 लाख रुपए राव के लिए तथा 40 हजार रुपए स्वयं के लिए थे।

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इस पर एसीबी की जांच में पूर्व बारां कलक्टर राव की रिश्वत मामले में संलिप्तता होना पाया गया। इसके बाद एसीबी ने राव को गिरफ्तार किया था। वे अभी जेल में हैं। उनकी ओर से विशिष्ट न्यायाधीश उच्च न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में जमानत का आवेदन दिया गया था। उनके वकील ने इंद्र सिंह राव को मामले में फंसाने की दलील दी। जबकि एसीबी की ओर से प्रस्तुत आरोप पत्र में पूरे मामले का खुलासा किया गया है। केस डायरी में किस तरह एनओसी निरस्त कर फिर बहाल करने तथा किस तरह से रिश्वत मांगी गई, इन सभी सवालों का विस्तार से जिक्र किया गया है।

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कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने आईएएस अफसर इंद्र सिंह राव की जमानत याचिका खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की है। जिसमें कहा गया कि राव ने राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का उल्लंघन किया है। अवैध रूप से अपने अधीनस्थ निजी सहायक महावीर प्रसाद नगर के जरिए रिश्वत लेने का काम किया। यदि अभियुक्त को जमानत का लाभ दिया जाता है तो उसके द्वारा गवाह को प्रताडि़त करने व साक्ष्यों से छेड़छाड़ किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। चूंकी वह प्रतिष्ठित पद पर रह चुका है। इसलिए संभावना ज्यादा है। प्रकरण के समस्त तथ्यों परिस्थितियों व अपराध की गंभीरता को मध्य नजर रखते हुए अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन स्वीकार किया जाना न्यायोचित नहीं पाया जाता है।

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