सीएम साहब! कोटा से आपका बैर कब खत्म होगा, सिनेमा हॉल खोल सकते हो कोचिंग नहीं

गहलोत सरकार की कोविड पॉलिसी के दोहरे व्यवहार से नाराज हॉस्टल-मैस संचालकों ने किया प्रदर्शन

  • प्रदर्शनकारियों ने लगाया आरोपः गहलोत सरकार में हर बार उठाना पड़ता है कोटा के शिक्षण संस्थानों को नुकसान 
  • एमएनआईटी, आईआईटी छीनने और आरटीयू को तोड़ने के बाद अब कोचिंग सेक्टर को जयपुर ले जाने की साजिश 

TISMedia@Kota कोरोना का कहर खत्म होने के बाद गहलोत सरकार की दोहरी अनलॉक नीति के खिलाफ कोटा के हॉस्टल और मैस संचालकों ने कोचिंग संस्थान खोलने की मांग को लेकर लगातार तीसरे दिन प्रदर्शन किया। कलेक्ट्रेट का घेराव करने जा रहे हॉस्टल और मैस संचालकों को पुलिस ने सर्किट हाउस के पास रोक दिया। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर कोटा के साथ कुठाराघात करने का आरोप लगाए। उन्होंने मांग की कि जब सिनेमा हॉल खोले जा सकते हैं तो फिर सरकार कोरोना प्रोटोकॉल की पालना के साथ विद्यार्थियों को पूरी सुरक्षा मुहैया करा रहे कोचिंग संस्थानों को सरकार क्यों नहीं खोल रही?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 जुलाई को कोरोना कहर थमने के बाद पूरे राजस्थान को अनलॉक करने की घोषणा की थी। बाजारों और दुकानों से लेकर मॉल और सिनेमाघर तक खोल दिए गए, लेकिन अनलॉक 4.0 के नाम से जारी गाइड लाइन में कोचिंग संस्थानों को अब भी बंद करने का आदेश दिया गया था। जिसके बाद पाई-पाई के लिए मोहताज हो चुके कोटा के हॉस्टल और मैस संचालकों में आक्रोश फैल गया।

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सरकार के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन 
अनलॉक 4.0 लागू होते ही कोटा के कोचिंग कारोबार से जुड़े लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा भड़क गया। डेढ़ साल से बंद पड़े कोचिंग संस्थानों को चालू कराने की मांग को लेकर शहर में जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो गए। कोचिंग से हॉस्टल, मैस, पीजी और स्टेशनरी आदि दुकानों के संचालकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लगातार दो दिन से प्रदर्शनकारी कलेक्ट्रेट का घेराव करने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें सर्किट हाउस के आसपास ही रोक लेती है। मंगलवार को भी जब कोचिंग खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे कोटा के बाशिंदे कलेक्ट्रेट जाने लगे तो उन्हें सर्किट हाउस के पास रोक लिया गया। जिससे वह भड़क गए। सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे यह लोग वहीं सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे।

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सीएम पर लगाए बर्बादी के आरोप 
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सीधे आरोप लगाने शुरू कर दिए। पुलिस अधिकारियों से उलझ रहे हॉस्टल और मैस संचालकों ने उनसे सीधे पूछ लिया कि गहलोत का कोटा से बैर कब खत्म होगा? पहले आईआईटी छीन ली, फिर एमएनआईटी और उसके बाद आरटीयू के टुकड़े कर डाले। चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए खोले इंजीनियरिंग कॉलेजों का खर्चा तक आरटीयू के मत्थे मढ़ दिया। इतने से भी मन भरा तो कोटा के कोचिंग सेक्टर को तबाह करने के लिए जयपुर में स्पेशल जोन खोल डाला। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार की नीयत ठीक होती तो वह कोचिंग संचालकों को जयपुर बुलाकर सुविधाओं का पिटारा खोलने के बजाय कोटा में ही विशेष जोन स्थापित करते और सारी सहूलियतें यहीं देते, लेकिन ऐसा न कर कोटा के लाखों लोगों की रोजी-रोटी छीनने की कोशिशें शुरू कर दी। जिसे कोटा के लोग किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं करेंगे।

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पिक्चर देखना जरूरी है या फिर पढ़ाई 
प्रदर्शनकारियों के सवालों का कोटा के सत्ताधारी विधायकों और मंत्री से लेकर जिले में तैनात अफसरों तक के पास कोई जवाब नहीं है। प्रदर्शनकारियों ने जब पूछा कि पिक्चर देखना ज्यादा जरूरी है या फिर बच्चों की पढ़ाई करवाना, तो चारों ओर सन्नाटा पसर गया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नीट परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान हो चुका है, जेईई परीक्षाएं भी सिर पर हैं, लेकिन सरकार कोचिंग संस्थान न खोलकर यूपी की योगी सरकार का अंदरखाने साथ दे रही है। यूपी सहित पड़ौसी राज्यों में कोचिंग सस्थान खोल दिए गए हैं और उनकी कोशिश है कि उन राज्यों के बच्चे किसी भी तरह राजस्थान न आए, ताकि कोटा की आर्थिक कमर टूट जाए, लेकिन गहलोत सरकार न तो इस साजिश को समझने की कोशिश कर रही है और समझ रही है तो फिर कोटा के बाशिंदों के साथ इससे बड़ा धोखा दूसरा नहीं हो सकता।

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कोटा जैसे इंतजाम तो सचिवालय और विधानसभा में भी नहीं 
कोचिंग खुलवाने की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारियों से जब अफसरों ने कोरोना गाइड लाइन की पालना और सुरक्षा उपायों का जिक्र किया तो वह भड़क गए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि देश भर से आने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए जितने इंतजाम कोटा के कोचिंग और हॉस्टल, मैस संचालकों ने किए हैं उतने तो प्रदेश सरकार के सचिवालय और विधानसभा तक में नहीं है। कोचिंग संस्थानों ने बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पढ़ाने के लिए सीटों से लेकर अल्ट्रावायलेट सेनेटाइजेशन सिस्टम तक लगा रखे हैं। इतना ही नहीं कोचिंग सस्थानों ने बच्चों की स्वास्थ्य जांच के लिए चिकित्सकों की नियुक्ति करने से लेकर अस्पताल तक खोल दिए। जब कोरोना अपने चरम पर था तब सरकार के पास लोगों का इलाज करने तक के लिए पर्याप्त इंतजाम तक नहीं थे। उस वक्त भी कोचिंग संस्थानों ने आगे बढ़कर शहर के लोगों की जान बचाने के लिए न सिर्फ क्वारेंटाइन सेंटरों का संचालन किया, बल्कि वहां भर्ती कोविड मरीजों से लेकर उनके परिजनों के खाने-पीने तक की व्यवस्था की। प्रदेश सरकार ने जब ऑक्सीजन की कमी होने पर हाथ खड़े कर दिए तो अपने खर्च से ऑक्सीजन कॉस्ट्रेटर तक खरीदे। ऐसे में जब कोचिंग सेक्टर से जुड़े लोग कोरोना महामारी में सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर लड़ सकते हैं तो अब सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि उनके साथ खड़ी हो।

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