कोटा नगर निगम दक्षिण बजट बैठक: हंगामे के बीच 605 करोड़ का बजट पास
पार्षदों ने आयुक्त से की अभद्रता, लॉलीपॉप दी, कागज भी फेंके
कोटा। वित्त वर्ष 2023- 24 के लिए कोटा दक्षिण नगर निगम ने 605.23 करोड़ का बजट पारित किया। शनिवार को बोर्ड की बैठक में वित्त समिति चेयरमैन देवेश तिवारी ने बजट पेश किया। बजट सत्र की बैठक तो 4 घंटे तक चली, लेकिन इसमें बजट को लेकर महज 30 मिनट ही चर्चा हो सकी। बाकी का वक्त अफसरों की कार्यशैली को लेकर हंगामे की भैंट चढ़ गया। विपक्ष ने बजट काल्पनिक व झूठ का पुलिंदा बताया। वहीं, सत्ता पक्ष के साथ मिलकर विपक्ष के पार्षदों, महापौर राजीव अग्रवाल, दक्षिण विधायक संदीप शर्मा व रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर ने अफसरों पर काम नहीं करने पर कड़ी नाराजगी जताई।
नगर निगम कोटा दक्षिण ने शनिवार को बैठक तो बजट पर चर्चा के लिए बुलाई थी, लेकिन सत्र का पूरा समय सदन में अधिकारियों के लिए निकम्मे, हत्यारे, भ्रष्टाचारी जैसे शब्दों से तोलने में गुजर गया। कार्यवाहक आयुक्त अंबालाल मीणा के खिलाफ मुर्दाबाद, शेम-शेम, बर्खास्त के नारे लगे। नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने कहा कि कोई भी पार्षद संतुष्ट नहीं है तो इन्हें तुरंत रिलीव करने का प्रस्ताव लिया जाए। पार्षदों की मांग पर महापौर अग्रवाल ने मीणा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लिया। इधर, कार्यवाहक आयुक्त मीणा ने सदन में जवाब दिया कि मैं किसी भी घोषणा के लिए अधिकृत नहीं हूं, बोर्ड के प्रस्तावों पर सरकार के मार्गदर्शन से काम करता हूं।
आमने-सामने आए पार्षद
बैठक में कोटा दक्षिण से विधायक संदीप शर्मा और विधायक मदन दिलावर भी बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे। इस दौरान जब विधायक मदन दिलावर वह बोलना शुरू किया और कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम में भेदभाव का आरोप लगाया। पार्षद धनराज चेची ने सवाल उठाते हुए कहा कि विधायक बताएं कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में कितना काम करवाया है। मदन दिलावर ने जवाब दिया कि उन्होंने जो पैसा विधानसभा क्षेत्र में दिया है नगर निगम अभी तक तो काम नहीं करवा पाया। इस बात को लेकर हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेसी पार्षद अपनी सीटों से नीचे आने लगे तो बीजेपी पार्षद वेल में पहुंच गए। इसके बाद दोनों ही पार्टियों के पार्षद आमने-सामने हो गए और जमकर हंगामा हुआ।
उत्तर किया चकाचक, दक्षिण से सौतेला व्यवहार
मदन दिलावर ने कहा कि कोटा नगर निगम दक्षिण में रामगंजमंडी के आठ वार्ड आते है। लेकिन वहां कोई काम नही हो रहा है। गंदगी जमा रहती है, सफाई नही होती कचरा नही उठता। जबकि कोटा उत्तर में कई काम हो रहे है। हमारे इलाकों से भेदभाव किया जा रहा है। इस पर आवंली रोजडी के पार्षद धनराज चेची ने कहा कि पहले विधायक बताए कि उन्होंने पांच साल में क्या काम करवा दिया विधानसभा क्षेत्र में। इस पर मदन दिलावर ने कहा कि मैनें बहुत पैसा इलाके में दिया है लेकिन अभी तक उनसे कोई काम नही करवाया गया है। अगर कोई काम करवाते हैं तो मैं दस गुना देने को तैयार हूं। इस पर बहस शुरू हुई। पाषर्द वेल में आ गए और हंगामा शुरू कर दिया। बीजेपी पार्षद भी सामने आ गए।
पार्षद ने आयुक्त पर कागज फेंके
बैठक में पिछली बोर्ड बैठक में पार्षदों को दी जाने वाली खेल सामग्री को लेकर भी सवाल उठाए। पार्षदों ने कहा कि जब बोर्ड ने खेल सामग्री को लेकर तय कर लिया गया इसके बाद भी पहले की आयुक्त ने उस पर डिसेंट नोट लगा दिया वहीं जब डीएलबी ने राहत दी तो भी अब तक खेल सामग्री नही दी गई। टेंडर जारी हो गए लेकिन अधिकारी कागज दबा कर बैठे है। पार्षदों ने कायर्वाहक आयुक्त पर आरोप लगाया और उन्हें रीलीव करने की मांग की। लैपटॉप नही देने को लेकर भी हंगामा हुआ। इस दौरान एक पार्षद ने आयुक्त पर पेपर उछाल दिया।
यूडी टैक्स को लेकर पार्षदों में मतभेद
शहर में यूडी टैक्स को लेकर भी हंगामा हुआ। पार्षद ओम गुंजल ने कहा कि जब पहले बोर्ड बैठक में यूडी टैक्स को लेकर बात हो चुकी थी कि निजी फर्म से वसूली नही करवाई जाएगी लेकिन इसके बाद भी निजी फर्म काम कर रही है। इस पर नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने कहा कि निजी फर्म ने टैक्स वसूल कर दिखाया है। जब तक पैसा नही आएगा वार्ड में काम कैसे होगा। इसलिए इस पर विचार करना चाहिए। निगम टैक्स वसूल नही कर पाएगा।
महिला पार्षद बैठी धरने पर
बीजेपी की महिला पार्षदों ने वैल में ही धरना दे दिया है। पार्षदों का कहना है कि एक तो बैठक में उन्हें बोलने नही दिया जा रहा है और दूसरा उनके वार्डों में काम नही हो रहे है। सफाई के पैसे जारी नही हो रहे हैं। एक तरफ खेल सामग्री और लैपटॉप को लेकर हंगामा चलता रहा और दूसरी तरफ महिला पार्षद धरने पर बैठ गई।
मीणा रहे निशाने पर
बैठक में हंगामे के दौरान विभिन्न मुददों को लेकर दक्षिण निगम के आयुक्त वर्तमान में कार्यवाहक आयुक्त अंबालाल मीणा निशाने पर रहे। अधिकारियों पर बात नही सुनने के आरोप लगते रहे। इसी दौरान पार्षदों ने आयुक्त के बैठने के स्थान पर आगे नरक निगम लिखा हुआ बैनर लगा दिया। सफाई, फाइलों पर कार्यवाही, लैपटॉप,खेल सामग्री,पार्षदों के काम नही होने को लेकर कार्यवाहक आयुक्त घिरे रहे। हंगामे के दौरान कांग्रेस पार्षद जितेंद्र सिंह ने कहा कि कार्यवाहक आयुक्त अंबालाल मीणा सब पार्षदों का सम्मान करने की बात कहते है लेकिन काम नही करते बस चूर्ण की गोली देते हैं। इसी दौरान पार्षद लेखराज योगी ने आयुक्त को लॉलीपोप देने की कोशिश की। बैठक में कहा कि सोमवार तक अगर निर्णयों पर कार्यवाही नही हुई तो आयुक्त पर कार्यवाही की जाएगी।
अधिकारियों को लेकर नाराजगी
बोर्ड बैठक के दौरान सभी पार्षद चाहे वह कांग्रेस के हो या बीजेपी के सभी ने कोटा दक्षिण के अधिकारियों के खिलाफ जमकर निशाना साधा। पूरी मीटिंग में बार-बार अधिकारियों के काम को लेकर नाराजगी जाहिर की गई और इसी बात को लेकर हंगामा होता रहा। कामों को पेंडिंग रखने समेत कई मुद्दों पर नगर निगम के अधिकारी पार्षदों के निशाने पर रहे। अधिकारियों के खिलाफ सदन में निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया। साथ ही यह भी कहा गया है कि अधिकारी अगर सोमवार तक निर्णय की पालना नहीं करते हैं तो अब सख्त कदम उठाए जाएंगे। अतिक्रमण समेत अन्य समस्याओं को भी बैठक में उठाया गया। खास तौर पर पिछली बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णय के ऊपर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाने जाने को लेकर पार्षदों में खासी नाराजगी थी। यहां तक की नगर निगम कोटा में लगे आरएएस अधिकारियों की जानकारियों पर भी सवाल उठाए गए।
भ्रष्टाचार के आरोप पर हंगामा
बैठक के दौरान ही बीजेपी पार्षद सुरेंद्र राठौर ने राजस्व समिति चेयरमैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए। जिसके बाद फिर से दोनों ही पार्टी के पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। पार्षद वेल में आ गए और बिना सबूत इस तरह के आरोप लगाने पर लेकर कार्रवाई की मांग करने लगे। इसके बाद बीजेपी पार्षद भी वेल में आ गए और दोनों आमने-सामने होने की स्थिति में हो गए। हालांकि बाद में नेता प्रतिपक्ष ने यह कहकर मामले को शांत कराया कि अगर किसी भी सदस्य की बात से किसी को ठेस पहुंची हो तो वह माफी मांगते हैं।
महापौर बोलेः अधिकारियों को करना पड़ेगा काम
बैठक में अधिकारियों को लेकर शिकायतें आने और पार्षदों की नाराजगी जताने पर सदन की अध्यक्षता कर रहे महापौर राजीव अग्रवाल ने भी कहा कि इस संबंध में कड़े निर्णय लिए जाएंगे। अधिकारियों को निर्णय की पालना करनी पड़ेगी। जब बोर्ड बैठक में निर्णय हो रहे हैं और उसके बाद भी अगर अधिकारी काम नहीं कर रहे तो इस संबंध में डीएलबी को भी लिखा जाएगा और कार्यवाही के लिए कहा जाएगा।