कोटा सीएमएचओ घूसकांडः संविदा कर्मी बर्खास्त, सीएमएचओ के खिलाफ जांच तक पूरी नहीं हुई
"साहब" के लिए घूसखोरी करने वाले मातहतों के लिए सबक साबित हुई मालीवाल की बर्खास्तगी
TISMedia@Kota कोटा सीएमएचओ घूसकांड ने भले ही कितनी भी सुर्खियां बटोरी हों, लेकिन असल जिम्मेदारों के खिलाफ अभी तक कार्यवाही मुकम्मल नहीं हो सकी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ रहा, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और सरकार में बैठे “हाकिम” घूसखोरों को बचाने में पीछे नहीं हट रहे। नतीजन, सीएमएचओ के लिए घूस लेने वाले संविदा कर्मी को आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों ने बर्खास्त तक कर डाला, लेकिन यही अफसर घूसखोरी के आरोपों से घिरे सीएमएचओ के खिलाफ जांच तक पूरी नहीं कर सके।
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एसीबी (Kota ACB) ने कोटा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO Kota) कार्यालय में तैनात राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के लेखा प्रबंधक महेंद्र मालीवाल को 50 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रेप किया था। मालीवाल ने सीएमएचओ ऑफिस में लगी टैक्सियों के बिल पास करने की एवज में टैक्सी मुहैया कराने वाले ठेकेदार से 7 प्रतिशत कमीशन मांगा था। घूस नहीं देने पर बिल का भुगतान रोकने व टेंडर निरस्त करने की धमकी दी थी। घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद मालीवाल ने पूछताछ में एसीबी को बताया था कि उसने ठेकेदार से घूस सीएमएचओ भुपेंद्र सिंह तंवर को देने के लिए ली थी। जिसे वह उनके घर पहुंचाने जा रहा था, इससे पहले ही एसीबी ने धर दबोचा। इस मामले में परिवादी अविनाश हाड़ा ने भी डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर के खिलाफ ही एसीबी को परिवाद दिया था। परिवाद में बताया था कि सीएमएचओ तंवर घर पर बुलाकर कमीशन के लिए धमकाते हैं। इस मामले में पीडि़त 80 हजार रुपए पहले दे चुका था।
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मालीवाल को किया बर्खास्त
कोटा सीएमएचओ घूसकांड के तीन महीने बाद मेडिकल हैल्थ एण्ड फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट (NMH) ने सीएमएचओ के लिए घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए लेखा प्रबंधक महेंद्र मालीवाल को बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। एनएचएम के मिशन डायरेक्टर सुधीर कुमार शर्मा ने 27 जुलाई को मालीवाल की संविदा को खत्म कर उसे सेवाओं से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया। दो पेज के इस आदेश में मिशन डायरेक्टर शर्मा ने लिखा है कि मालीवाल को बर्खास्त करने का अधिकार कोटा सीएमएचओ भूपेंद्र सिंह तंवर को था, लेकिन खुद उन पर इस घूसकांड में शामिल होने के आरोप हैं इसीलिए उनके खिलाफ भी विभागीय जांच चल रही है। ऐसे में मालीवाल के खिलाफ कार्यवाही करने के अधिकार उनसे छिन जाते हैं। इसीलिए मिशन डायरेक्टर को यह आदेश जारी करने पड़े हैं।
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सीएमएचओ के खिलाफ डेढ़ महीने बाद जांच
मिशन निदेशक सुधीर कुमार शर्मा ने एनएचएम के एक संविदा कर्मी को बर्खास्त करने का आदेश जारी करने में देर नहीं लगाई। मालीवाल के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए विभागीय मुख्यालय तक ने नियमों का पुलंदा खोल लिया, लेकिन इसी घूसकांड के आरोपी कोटा सीएमएचओ भूपेंद्र सिंह तंवर के खिलाफ जांच शुरू करने में ही स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों ने डेढ़ महीना लगा दिए। कोटा एसीबी ने इस मामले में जब सख्त रवैया अपनाया और 16 जून 2021 को मालीवाल के साथ-साथ भूपेंद्र यादव के खिलाफ घूसखोरी के मामले में चालान पेश करने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी तब जाकर विभागीय अधिकारियों ने सीएमएचओ के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की। इसके बाद भी जांच पूरी होना तो दूर स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर घूसखोरी जैसे गंभीर आरोप लगने के बाद भी सीएमएचओ को कोटा से हटाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। जबकि, एसीबी लगातार कार्यवाही के लिए सरकार और विभाग को लिख रही है, ताकि घूसकांड से जुड़े लोगों को प्रभावित होने से बचाया जा सके। राजस्थान के एनएचएम कर्मचारियों में इस बात को लेकर खासा रोष है कि एक संविदा कर्मी के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए मिशन निदेशक तक आगे आ गए, लेकिन वहीं दूसरी ओर आला अफसर को बचाने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं।
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एसीबी खंगाल रही दस्तावेज
कोटा एसीबी के एएसपी ठाकुर चंद्रशील ने बताया कि कोटा सीएमएचओ घूसकांड में मालीवाल की गिरफ्तारी और बयान दर्ज कराने के बाद अब सीएमएचओ की संलिप्तता की गहनता से पड़ताल की जा रही है। जांच अधिकारी सीएमएचओ के खिलाफ मिले सबूतों की गहनता से जांच कर रहे हैं ताकि उनके आधार पर गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा सके। वहीं, चिकित्सा विभाग ने भी सीएमएचओ के खिलाफ जांच शुरू कर दी है, लेकिन विभागीय जांच कब तक पूरी होगी इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोपों के बाद भी सीएमएचओ की कुर्सी सही सलामत है।
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तो, मुख्यालय तक जमी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें!
कोटा सीएमएचओ घूसकांड के बाद स्वास्थ्य विभाग में कार्यवाही के नाम पर हो रही हीलाहवाली से समझा जा सकता है कि राजस्थान के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरे तक जमी हुई हैं। इससे पहले कोटा एसीबी ने कोटा में तैनात स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन डिप्टी सीएमएचओ एवं ड्रग वेयर हाउस प्रभारी डॉ. महेंद्र त्रिपाठी, फार्मासिस्ट राकेश मेघवाल और मुकेश मीणा आदि के साथ दवा खरीद में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया था। घूसखोरी के गंभीर आरोपों में नामजद मुकदमा दर्ज होने के बावजूद भी विभाग ने डॉ. त्रिपाठी को बूंदी का सीएमएचओ लगा दिया। एसीबी के एएसपी ठाकुर चंद्रशील कहते हैं कि “ऐसे में मालीवाल जैसे मातहतों को समझने की जरूरत है कि “साहब” के लिए घूसखोरी न सिर्फ उनका करियर तबाह कर सकती है, बल्कि सालों तक जेल और कोर्ट कचहरी के धक्के तक खाने पड़ सकते हैं। परिवार और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा खत्म होती है सो अलग। इसलिए भ्रष्टाचार का हिस्सा बनने के बजाय, एसीबी को इस तरह के कृत्यों की सूचना देकर भ्रष्टाचारियों की पोल खोलें।”