छबड़ा थर्मलः 150 घंटे में हटाया 3000 टन मलबा तब जाकर मिला होपर के नीचे दबे मजदूर का शव

एसडीआरएफ, एनडीआरएफ को छठे दिन मिली सफलता, ढ़ांचे को काटने के लिए हैदराबाद तक से आईई टीम

TISMedia@Kota छबडा थर्मल पावर प्लांट में हादसे के छठवें दिन जाकर मलबे के नीचे दबे हुए मजदूर का शव निकाल लिया गया। एश हेंडलिंग प्लांट के ढ़ांचे यानि होपर के नीचे दबे हुए मजदूर की तलाश में छबड़ा थर्मल प्रशासन ने पूरी जान झोंक दी थी। आलम यह था कि 3000 टन से ज्यादा का मलबा उठाने के लिए 100 से ज्यादा ट्रक, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस प्रशासन ही नहीं हैदराबाद से तकनीकी टीम तक बुलाई गई थी।

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राजस्थान के थर्मल पॉवर प्लांट अब ज्यादा से ज्यादा बिजली बनाने के दवाब में हांफने लगे हैं। बारां स्थित छबड़ा थर्मल पॉवर प्लांट में बुधवार रात बड़ा हादसा हो गया। 250 मेगावाट क्षमता की चौथी यूनिट के ऐश हैंडलिंग प्लांट ( ईएसपी) का स्ट्रक्चर (होपर) भरभरा कर गिर गया। वहां काम कर रहे चार मजदूर हूपर में भरी गर्म राख के ढे़र में दब गए। जिनमें से तीन मजदूरों को निकाल लिया गया, लेकिन एक मजदूर को बचाने के लिए प्लांट प्रबंधन ने पूरी जान झोंक दी।  

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150 घंटे बाद मिली सफलता
छबड़ा थर्मल पॉवर प्लांट के मुख्य अभियंता अजय सक्सेना बताया कि बुधवार रात करीब 1 बजे ईएसपी का स्ट्रक्चर अचानक गिर गया। जिसके चलते वहां काम कर रहे 4 मजदूर दब गए। इनमें से वीरेंद्र धाकड़, दिनेश धाकड़ व प्रीतम मालव को बाहर निकाला गया, लेकिन चौथा मजदूर दिनेश मेहता राख और ढ़ांचे के ढ़ेर में दब गया। उसे निकालने के लिए छह दिन तक लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन की सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि किसी को पता ही नहीं था कि मजदूर कहां दबा है। जिसके चलते हजारों टन का पूरा मलबा हटाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नहीं बचा था। 150 घंटों से भी ज्यादा की कोशिशों के बाद आखिरकार मंगलवार को भीलवाड़ा निवासी दिनेश मेहता का शव बरामद कर लिया गया।

3000 टन से भी ज्यादा मलबा हटाया 
राजस्थान विधुत उत्पादन निगम लिमिटेड़ (RVUNL) के टेक्निकल डायरेक्टर जिनेश जैन ने बताया कि दुर्घटना में 28 होपर टूट गए थे। हर एक होपर में लगभग 90 टन राख होती है। इसके साथ ही होपर का पूरा ढ़ांचा भी करीब 2 हजार 2 सौ टन के आसपास का था। ऐसे में उसके नीचे दबे मजदूर को बचाने के लिए पूरी जान झोंक दी। राख हटाने के लिए 100 से भी ज्यादा ट्रक लगाए गए। वहीं लोहे से बने होपर के ढ़ांचे को काटकर हटाने के लिए आनन-फानन में हैदराबाद की कंपनी से कांट्रेक्ट करना पड़ा।

 

उत्पादन का दवाब बना हादसे की वजह 
बताया जा रहा है कि राजस्थान में बिजली की कमी के चलते छबड़ा थर्मल पॉवर प्लांट पर किसी भी यूनिट को बंद किए बिना ज्यादा से ज्यादा बिजली बनाने का दवाब था। जिसके चलते नियमित होने वाली मेंटिनेंस भी टालनी पड़ी थी। ईएसपी प्लांट की सफाई नहीं हुई थी। अधिक भराव की वजह से ईएसपी प्लांट बैठ गया और हादसा हो गया। बता दें कि ऐश हैंडलिंग प्लांट (ईएसपी) लगभग 1 हजार मीटर एरिया में बना हुआ है। इस स्ट्रक्चर में 28 हूपर है। इनमें से गर्म राख निकलती है। यहां से राख को पानी के पम्प के प्रेशर से पाइप लाइन के जरिए बाहर निकाला जाता है।

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