श्रद्धांजलिः आपके पास गुनगुनाने के लिए लता जी की आवाज़ है
– विवेक कुमार मिश्र
स्वर कोकिला , भारत रत्न , पद्मश्री लता मंगेशकर ( 28 सितंबर 1929 – 06 फरवरी 2022) नहीं रही । यह एक जीवन सत्य और जीवन क्रम है जहां जीवन को पूरा जीकर एक अनंत में चला जाना है । लता जी जाते हुए भी हम सबके भीतर नये सिरे से बस जाती हैं । एक ऐसी जादुई दुनिया , एक ऐसी आवाज जो कहीं नहीं जाती यहीं हम सबके साथ हम सबकी होकर हमारे भीतर ही रहती है । जीवन का कोई ऐसा भाव और रंग नहीं जिस पर उनकी जादुई आवाज़ न हो , हर रंग के साथ , खनकती आवाज के साथ लता जी की आवाज़ है । न जाने कितने भाव और जीवन दशाओं को अपनी आवाज़ देकर उन्होंने जीने का जरिया लोगों को दिया।
जिस भी स्थिति में हों आपके पास गुनगुनाने के लिए लता जी की आवाज़ है। इस आवाज में मिठास , मन को सुकून , शांति और सादगी के साथ जीने का संदेश छिपा है । उनका गायन हमारे मन मस्तिष्क पर एक साथ चलता है । सब उस गूंज और ध्वनि को जीने लगते हैं । जिसे आवाज लता जी ने दिया । भला कोई भी लता जी की आवाज़ को सुने बिना कैसे रह सकता । उनके गायन में इस बात का कितना गहरा वोध है कि तुम मुझे भुला नहीं पाओगे । सच में कोई भी लता की आवाज़ को भुला नहीं सकता । ध्वनि / आवाज आत्मा की तरह साथ साथ चलते रहते हैं । आवाज में मनुष्य की सारी सत्ता होती है । कहना न होगा कि आवाज ही लता जी की सत्ता थी , है और रहेगी और यह आवाज सबके भीतर से उठती है । उनकी आवाज में पूरा देश ही गूंजता रहता था ।
लोगों के मन , भाव और जीवन को आवाज में साधना ही सबसे बड़ी कला है जिसे लताजी ने शुरू से ही साध लिया था । ‘ तुम मुझे यूं भुला न पाओगे / जब कभी भी सुनोगे मेरे गीत / संग – संग तुम भी गुनगुनाओगे । ‘ संग संग पूरा देश ही गुनगुना रहा है । हर किसी की जुबान पर लता की आवाज़ है । आवाज जो चलते ही बोल उठती , मन पर छा जाती और इस आवाज को सुनते सुनते ही आदमी जिंदगी के मायने समझने लगता है । लता जी का जाना नये सिरे से हमें जादुई आवाज़ से जोड़ देने जैसा है । जो जादुई दुनिया उनके गीत गायन के साथ हमारे साथ चल रहे थे वे ऐसे ही चलते रहेंगे । ये सुर और चमकेंगे , महकेंगे और जिंदगी की धुन बन हमारे साथ गुंजते रहेंगे । टीवी / मोबाइल / रेडियो / फेसबुक /वाट्सएप / स्टेटस कोई ऐसी जगह नहीं है जहां आज सुर संगीत की साम्राज्ञी लता जी की ही आवाज न आ रही हो । सिर चढ़ कर यह आवाज देश के मन पर बोलती रही है। सुर संगीत में पूरा देश ही खो गया।
बस एक ही आवाज़ लोगों की जुबान पर चढ़ी रही । अरे report completo! लता जी गा रही है , बस वहीं कान लगाकर बैठ जाइए । एक एक शब्द इस तरह कान में आते कि कोई रस अमृत घोलकर सुना रहा है । यह आवाज मन पर छा जाने वाली आवाज थी । न जाने कितनी पीढ़ियां इस आवाज के साथ जीने का ढंग और जज्बा पा गई । जीवन का कोई ऐसा रंग नहीं जिस पर लता जी ने न गाया हो । आवाज में ही क्लासिक के पूरे तत्व मौजूद रहे हैं । क्या आध्यात्म और क्या सांसारिकता सब जगह लता जी मौजूद हैं जीने का रास्ता यहीं से जाता है । ‘ तूं जहां जहां चलेगा / मेरा साया साथ साथ होगा ।’ यह साया यह साथ ही जीवन है जो एक आवाज के साथ बस चलता चला जा रहा है । मन की कोई भी दशा क्यों न हो बस आवाज के साथ आप गुनगुनाने लगते हैं । ‘ रहे ना रहे महका करेंगे ‘ यह जीवन की गूंज और महक ही है जो सबके साथ चलती रहती है । इसके लिए किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है ।
मेरी आवाज़ ही पहचान है । जिसे लेकर हम सब जीवन में चलते हैं । उनकी आवाज में पूरा देश अपनी सुंगध और धड़कन को महसूस करता है । मनुष्यता की , जीवन की दशा और जीवन में सुकून की उपस्थिति गीत संगीत से आती है और इस सुकून को लता जी ने अपना स्वर दिया जो लोगों के मन मस्तिष्क पर एक साथ छाया रहा ।