JNU की पहली महिला कुलपति: रूस में जन्म, स्वीडन से पोस्ट डॉक्टरेट डिप्लोमा, जेएनयू से पीएचडी

नक्सलियों के खिलाफ उठाती रही हैं आवाज, नियुक्ति की घोषणा के बाद वायरल हुए कई ट्वीट

TISMedia@NewDelhi प्रोफेसर शांतिश्री धूनिपुड़ी पंडित (Professor Santishree Dhulipudi Pandit) को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का नया कुलपति नियुक्त कर दिया गया। जेएनयू का जिक्र छिड़ते ही तरक्की की मिसाल देने वाले लोगों को जब पता चला कि प्रो. पंडित इस विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति (First woman Vice-Chancellor) हैं तो लोग हैरत में पड़ गए। इससे पहले वह महाराष्ट्र के सावित्रिबाई फुले विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर थीं।

मौजूदा जानकारी के अनुसार, जेएनयू की नई कुलपति पॉलिटिकल साइंस की प्रोफेसर रही हैं। उनका जन्म रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ था। शांतिश्री की माँ मुलामूडी आदिलक्ष्मी वहाँ तमिल और तेलुगू की प्रोफेसर थीं। पंडित ने भी अपनी पढ़ाई चेन्नई कॉलेज से की। बाद में उन्होंने सन् 1990 में जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन में पीएचडी की और 1995 में स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय से पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट में पोस्ट-डॉक्टरेट डिप्लोमा भी प्राप्त किया।

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एम जगदीश कुमार की लेंगी जगह 
प्रोफेसर के तौर पर पंडित ने अपना करियर 1988 में शुरू किया था। बाद में वे पुणे यूनिवर्सिटी से जुड़ गईं। उन्होंने कई शैक्षणिक निकायों में प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवा दी। वे कुछ समय यूजीसी की, इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च की भी सदस्य रहीं। बता दें कि प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित जेएनयू में प्रोफेसर एम जगदीश कुमार का स्थान लेंगी। एम जगदीश कुमार का कार्यकाल पिछले साल पूरा हो गया था। इसके बाद से वह कार्यवाहक कुलपति के तौर पर जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। जगदीश कुमार को अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

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सोशल मीडिया पर वायरल हुए पुराने ट्वीट
प्रोफेसर पंडित के कुलपति बनने के बाद उनके नाम पर साझा कुछ पुराने ट्वीट शेयर हो रहे हैं। एक ट्वीट 2020 का है जिसमें उन्होंने जेएनयू पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जेएनयू के लूजर्स जिन्होंने अपना आपा खोया। ऐसे कट्टरपंथी नक्सली समूह को कैंपस से बैन किया जाना चाहिए। जामिया और सेंट स्टीफन जैसे कम्युनल कैंपसों की फंडिंग रुकनी चाहिए। इस ट्वीट के अलावा अगर उनके ट्विटर हैंडल पर मौजूद तमाम ट्विट्स से होकर गुजरें तो पता चलता है कि उन्होंने काफी मुखरता से अपने हैंडल पर हिंदू सभ्यता, संस्कृति और मंदिरों से जुड़े ट्वीट किए हैं। उन्होंने इतिहास के साथ खिलवाड़ करने वालों से अपने ट्वीट में सवाल किए हैं। साथ ही पुरानी कलाकृतियाँ साझा करते हुए उन्हें भारत की असल धरोहर कहा है। हालांकि कुलपति की घोषणा होते ही शुरू हुए विवाद के बाद से प्रोफेसर पंडित का ट्वीटर एकाउंट डिएक्टिवेट आ रहा है।

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