कोरोना काल में भ्रमों की महामारी

इन्फोडेमिक का पान्डेमिक

 

नमस्कार दोस्तों आप इस कोरोना महामारी का सामना पुरजोर तरीके से कर रहे होंगे और आपको एवम् अपने परिवार को सुरक्षित रख रहे होंगे | एक देश एवं समाज के तौर पर हम जिस स्थिति से गुजर रहे है वह स्थिति आज तक नहीं देखी गई है | यह हमारे जीवन  का सबसे मुश्किल दौर है जब हम अपने आस-पास के परिचितों, मित्रों, परिवारों में अपने को मरते हुए देखना, उनकी सहायता करने की पूरी इच्छा होने पर भी उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे |

इस स्थिति में आप उनकी मदद कर पाए या न कर पाए लेकिन अधिकतर मामलों में आप उनकी सहायता भी नहीं कर पा रहे होंगे सोचे अगर उनकी मदद करे तो कही हम स्वयं भी संक्रमित न हो जाए क्योंकि इस महामारी में भ्रांतियां भी अधिक फैल रही हैं- जैसे कोई कोरोना मरीज नाक में नींबू की बूंदे डाले तो वह सही हो जायेगा और आज जब मैंने यह समाचार में देखा की वह आदमी ही मर गया जिसने नाक में नींबू की बूंदे डाली थी | आज इस माहौल में महामारी से ज्यादा नागरिकों में फैल रही भ्रांतियां अधिक पैर प्रसार रही हैं | विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जितनी अधिक यह पान्डेमिक (वैश्विक महामारी) है उससे कही ज्यादा इन्फोडेमिक भी है यानी लोग कोरोना से ज्यादा कोरोना के डर के कारण मर रहे हैं| इन्फोडेमिक का मतलब होता है गलत सूचनाओं की महामारी और आपकी एवं मेरी यह जिम्मेदारी होती है कि पान्डेमिक के साथ इन्फोडेमिक को भी रोके जैसे एक वक्ति ने सोशल नेटवर्किंग पर एक सूचना शेयर की फला मंत्रों के जाप से कोरोना समाप्त हो जायेगा और यही सूचना आगे चैन की तरह प्रसारित हो गई यही ख़बर इन्फोडेमिक के अंतर्गत आती हैं और इस महामारी के दौरान इन्फोडेमिक को रोकना हमारे लिए आवश्यक है |

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कोरोना महामारी के दौरान फैली भ्रांतियां:- 
(1) जब यह वायरस गत वर्ष आया तब अधिकांश लोगो ने इसे गंभीर नहीं लिया, सरकारी गाइड लाइन का पालन नहीं किया जिसके कारण इस वायरस को फैलने में अधिक वक्त नहीं लगा |
(2) गर्मियों में मच्छर के काटने से कोरोना अधिक फैलेगा:- गलत, कोरोना वायरस श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है न कि खून से,इसलिए मच्छर के काटने से कोरोना नहीं फैलता है |
(3) अगर बिना बेचैन हुए 10 सेकंड्स तक सांस रोक सकते हैं तो आप कोविड संक्रमित नहीं है,बिल्कुल गलत सांस रोकने के परीक्षण से कोविड संक्रमित होने या ना होने का पता नहीं लगाया जा सकता हैं|
(4) कोरोना वायरस गले में रहता है, इसलिए ढेर सारा पानी पिए ताकि वायरस पेट में चला जाए और पेट का एसिड उसे खत्म कर देगा:- कोरोना वायरस गले के माध्यम से फेफड़ों को संक्रमित करता है इसलिए यह तथ्य भी गलत है|
(5) कोविड-19 के लक्षणों से ग्रसित व्यक्ति ही बीमारी फैला सकते हैं- कोविड-19 बीमारी उन संक्रमित लोगो से भी फैल सकती हैं जिन्हे कोई लक्षण नहीं है|
(6) किसी ने कहा कि भारतीयों की इम्युनिटी सबसे ज्यादा है इसलिए उन्हें कोरोना दूसरों देशों के अनुसार प्रभावित नहीं करेगा लेकिन इस दूसरी कोरोना लहर ने इस अफवाह की नींद उड़ा दी |
(7) एक ख़बर यह चली कि गर्मियों में यह वायरस खत्म हो जायेगा क्योंकि यह वायरस ठंडे तापमान पर ही जिंदा रहता हैं लेकिन इस वायरस का प्रकोप गर्मियों में अधिक देखने को मिला |
(8) वर्तमान में यह अफवाह चली कि पूरे विश्व में 5G की टेस्टिंग चल रही है जिसके रेडियेशन के कारण लोग मर रहे हैं न की कोरोना के कारण |
(9) चीन से किसी भी तरह का पैकेज या सामान मंगवाने पर उसके जरिए कोरोना वायरस आ सकता है लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस निर्जीव वस्तुओं पर अधिक समय तक ज़िंदा नहीं रहता है|
(10) पालतू जानवरों से भी कोरोना हो सकता है लेकिन अभी तक शोध में ऐसा नहीं पाया गया है फिर भी पालतू जानवरों को छुने के बाद साबुन से हाथ अच्छे से धोएं|
(11) मदिरा पान करने से कोरोना नहीं होगा यह बिल्कुल असत्य है|
(12) धूप में वायरस मर जाता है इसका कोई प्रमाण नहीं है|
(13) नमक-पानी से नियमित नाक साफ करने से कोरोना से बचा जा सकता है लेकिन नमक पानी से सामान्य जुकाम के कुछ मामलों में मदद मिलती है लेकिन ये कोरोना वायरस से सुरक्षा देने में प्रभावी है इसका कोई प्रमाण नहीं है |
(14) लैब में बनाया गया वायरस:- इस महामारी की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई तो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे वुहान वायरस या चाइना वायरस कहा लेकिन वायरस कहा से आया इसका अभी तक शोध चल रहा है और अभी भी वायरस के अनेक स्ट्रेन देखने को मिल रहे है|

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वैक्सीन को लेकर भ्रांतियां:-
(1) सुरक्षित नहीं होगी वैक्सीन:-  खबरें रही कि वैक्सीन विकास को लेकर साजिशें चल रही हैं और लोग वैक्सीन से डरे है,तो क्या वैक्सीन सुरक्षित होगी? हालिया रिपोर्टों में विश्लेषण हुआ है कि जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज लगा ली है उनमें कोरोना संक्रमण होने पर भी मृत्यु दर न के बराबर है|
(2) वैक्सीन को लगवाने से हो जाएगा कोरोना:- ये बिलकुल अफवाह है जो समाज में अज्ञानी लोग फैला रहे हैं, वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है इसको विभिन्न ट्रायल के बाद ही सरकार द्वारा उपयोग में लिया जाता है|
(3) वैक्सीन से पूरी तरह से खत्म हो जायेगा वायरस:- ऐसा अभी कहना जल्दबाजी होगा कि वैक्सीन से पूरी तरह से वायरस खत्म हो जायेगा फिर भी आधी आबादी के भी वैक्सीन लग जाती है तो बाकी आबादी को वायरस के फैलने से बचाया जा सकता है|
(4) कौनसी वैक्सीन लगवानी चाहिए:- अभी तक भारत में कोवैक्सिन, कोविशील्ड वैक्सीन ही उपलब्ध है तथा जल्द ही रूस निर्मित स्पुतनिक 5 वैक्सीन भी आने वाली है सभी वैक्सीन कारगर है कोई भी वैक्सीन लगवा सकते है |
(5) कोरोना से रिकवर्ड हो चुके मरीजों को वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं:- कोरोना से रिकवर्ड हो चुके मरीजों को भी वैक्सीन की जरूरत है क्योंकि कोरोना के कई मामलों में पुनरावृति हुई है |
(6) वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क नहीं पहनना होगा:- यह बिलकुल गलत है, वैक्सीन लगवाने के बाद भी पहले की तरह सावधानी बरतनी होगी क्योंकि कोरोना वायरस दुबारा भी संक्रमित कर सकता है |
(7) वायरस से बचाने के लिए जो वैक्सीन बनी है उसमें चिप लगी हुई है जिससे आपकी सारी सूचनाएं सरकार के पास चली जायेगी।
(8)  वैक्सीन से इंसान के जीन्स में परिवर्तन हो जाएगा जो बिल्कुल गलत है।

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यह जो बे-सिर पैर की बातों का साम्राज्य है ना वही हमारे समाज  के लिए सबसे ज्यादा घातक है| अब यह समझना होगा कि आज हम एक ऐसी महामारी के दौर में गुजर रहे है जो आज से 100 साल पहले आई महामारी से  भी खतरनाक और भयानक है इसलिए बेतुकी और बिना सर पैर की बातों पर रोक लगाकर महामारी पर नियंत्रित करने का प्रयास करे | महामारी को हम निम्न रूप से नियंत्रित कर सकते है :-
महामारी पर नियंत्रण की अवस्थाएं :-
(1) नियंत्रण (Control):- हम महामारी को control कर ले लेकिन अभी की स्थिति uncontrol जैसी है जैसे एक शहर के अस्पताल में बेड़ की संख्या 1000 है लेकिन उस शहर में मरीजों की संख्या 10000 के आस पास है ऐसी स्थिति को असामान्य कहा जायेगा | अभी कुछ महीनो पहले की स्थिति में भारत में कोविड मरीजों की स्तिथि control थी जिसके कारण संक्रमण की दर भी सामान्य थी लेकिन केंद्र एवम् राज्य सरकारों द्वारा मेडिकल सुविधाओ पर ध्यान तरीके से नहीं दिया गया जिसके कारण दूसरी लहर में अधिक घातक प्रभाव देखने को मिला |
(2) स्थानिक (Endemic):- इसका मतलब होता है कोई बीमारी समाज में प्रवेश करती है लेकिन संक्रमण की दर न के बराबर रहेगी यानी मेडिकल क्षेत्र द्वारा उसको control किया जा सके | जैसे भारत में 14 बीमारियां endemic मानी जाती है जिसमे डेंगू, रेबीज, कुष्ठ रोग, आदि शामिल है जो हर साल आती है लेकिन समाज में ज्यादा प्रभाव नहीं डालती |
(3) निष्कासन (Elimination):- जब बीमारी लगभग खत्म ही हो जाए जैसे भारत की पूरी आबादी 137 करोड़ में से केवल 1370 लोग ही  संक्रमित हो तब बीमारी को elimination के अंतर्गत माना जायेगा जिस प्रकार भारत देश में पोलियो को लगभग खत्म कर दिया है |
(4) उन्मूलन (Eradication):- जब बीमारी दुनिया से लगभग पूरी तरीके से खत्म हो जाए | इसके लिए सरकारों एवम WHO के द्वारा बहुत अधिक प्रयास किए जाए तभी यह संभव है | अब तक केवल स्मॉलपॉक्स ही एक ऐसी बीमारी है जिसे वैश्विक स्तर से खत्म किया जा चुका है |

दुनिया का इतिहास हैं जो रोगाणु , विषाणु आते है वे हमारे साथ ही रहते है, यह आते है, तूफान मचाते हैं लेकिन समाज द्वारा उचित दवाओं के उपयोग से समाप्त कर दिया जाता है | कोरोना दुनिया से लगभग 10 से 15 सालो तक चलने वाला वायरस है क्योंकि अभी तक पूरे विश्व के अधिकतर देशों में वैक्सीन उपलब्ध नहीं है,गरीब देशों को कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा रहा है, वायरस के विभिन्न देशों में अलग अलग रूप देखने को मिल रहे है जिनका अभी अध्ययन करना आवश्यक है | केवल Endemic के लेवल तक  लाना ही हमारा पहला प्रयास होना चाहिए क्योंकि अगर हमारा मेडिकल सिस्टम मजबूत होता तो इतना संक्रमण नहीं फैलता | गांवों, तहसीलों, कस्बों, शहरों में मेडिकल सुविधाओं को बढ़ाया जाना आवश्यक है क्योंकि मरीज को गंभीर हालत में दूर अधिक शहर में नहीं ले जाया जाना आवश्यक हो | इसके साथ ही Herd Immunity को बढ़ाना भी जरूरी है ताकि संक्रमण अधिक नहीं फैले और स्थिति अधिक गंभीर नहीं बने इसके लिए  आमजन को आगे आना आवश्यक है | संक्रमण को रोकने के लिए अफवाहों की जगह लोगों को चाहिए की सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखे और बातचीत के दौरान दो गज की दूरी रखे, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचे, आवश्यक कार्य होने पर ही घर से निकले और निकलने पर मास्क का प्रयोग अवश्य करें और वैक्सीन उपलब्ध होने पर जरूर लगवाएं एवम् दूसरो को भी वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें |

लेखक: ललित गौतम
नवोदित लेखक व विद्यार्थी

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