भड़के भरत सिंह : ट्रांसफर क्या भैंस है जो खूटे से बंधेगी
-तबादलों पर रोक के बहाने गहलोत सरकार पर फिर साधा निशाना
-मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं भरत सिंह
TISMedia@Kota. राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की बगावत थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोटा जिले की सांगोद विधानसभा से सत्ताधारी दल के विधायक भरत सिंह ने फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला है। बुधवार को कोटा में आयोजित कांगे्रस पदाधिकारियों की बैठक में सिंह ने ‘ट्रांसफर बैन’ के बहाने सरकार के मुखिया गहलोत पर जमकर निशाना साधा।
ट्रांसफर क्या भैंस है, जो खूटे से बांधी जाए
संगठन की बैठक लेने कोटा आए कांग्रेस प्रभारियों के बीच भरत सिंह ने तबादलों की रोक पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर पर बैन क्या होता है? यह कोई भैंस है, जो शाम होते ही खूटे से बांधी जाए? इसको खुला रखना चाहिए। ट्रांसफर पर बैन नहीं लगाना चाहिए। इससे कर्मचारियों का डर खत्म हो जाता है कि उसका कभी भी ट्रांसफर हो जाएगा।
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सच बोलता हूं इसलिए खटकता हूं
भरत सिंह ने कहा कि कार्मिकों में डर होना ही चाहिए, जो गलत करते हैं उनके खिलाफ तुरंत एक्शन लिया जाना चाहिए। ट्रांसफर पर बैन लगा देने से कर्मचारी मस्त हो जाते हैं। बैन पहले भी लगते आए हैं, लेकिन मैंने आपत्ति नहीं जताई। इस बार चर्चा चली है, तो मैं बोला हूं। कई लोगों के कार्य अटके हुए हैं, उन्हें कुछ भी नहीं दे सकते तो, इतनी तो स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, जो व्यक्ति गलत काम कर रहा है, उसका ट्रांसफर करवा सकें।
कलक्ट्रेट नहीं, सांसद के घर के बाहर करो प्रदर्शन
सिंह ने संभागीय संगठन प्रभारी और पीसीसी उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी से कहा कि सभी प्रदर्शन कलक्ट्रेट की जगह सांसद के घर के बाहर किए जाने चाहिए। प्रदर्शन के जरिए हम अपनी बात ऊपर तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। जबकि, कोटा-बूंदी सांसद लोकसभा स्पीकर हैं। यदि हम उनके घर के बाहर प्रदर्शन करेंगे तो अटेंशन मिलेगा। उसके जरिए हमारी बात आगे ऊपर तक पहुंचेगी। इसीलिए आने वाले दिनों में जितने भी कांग्रेस के प्रदर्शन हो, वह सभी सांसद के घर के बाहर ही होने चाहिए।
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बूंदी-झालावाड़ में पक रही खिचड़ी
सिंह ने पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी से कहा कि टीम लीडर बनाए जाने की आवश्यकता है। बूंदी और झालावाड़ में चुनाव है, लेकिन वहां पर खिचड़ी बनी हुई है। सभी नेता वहां कैप्टन की भूमिका निभा रहे हैं। जबकि, कोटा में हुए नगर निगम चुनाव यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की लीडरशिप में लड़ा गया था इसीलिए सफलता मिली। ऐसे में दोनों जगह पर एक ही व्यक्ति को लीडर बनाया जाना चाहिए ताकि सफलता मिल सके।