किरण माहेश्वरीः 29 को जन्मी और 29 को ही छोड़ा साथ, कोरोना 22 दिन में निगल गया ‘साधना’ के 37 साल

  • साल 1987 में दुर्गा वाहिनी की प्रमुख के तौर पर हुई थी राजनीतिक करियर की शुरुआत
  • महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर राजस्थान की शिक्षा मंत्री तक रहा शानदार सफर

कोटा. भाजपा की ‘किरण’ और राजस्थानी सियासत की ‘माहेश्वरी’ को कोरोना महज 22 दिन में निगल गया। साल 1987 में सियासी पारी की शुरुआत करने के बाद आखिरी दम तक भाजपा की दिग्गज नेत्री ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आलम यह था कि आखिरी सांस तक पार्टी की सेवा में ही जुटी रहीं। आइए डालते हैं दिवंगत नेत्री किरण माहेश्वरी के सियासी सफर पर एक नजरः-

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राजस्थान की राजसमंद विधानसभा सीट से विधायक रहीं भाजपा नेत्री किरण माहेश्वरी आखिरकार 22 बाद कोरोना से जंग हार गईं। फेंफड़ों में संक्रमण के चलते वह गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पीटल में भर्ती थीं। जहां उन्होंने रविवार देर रात आखिरी सांस ली।

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अपने दम पर हासिल किया मुकाम

किरण माहेश्वरी ने अपनी काबिलियत के दम पर न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी बल्कि, राजस्थान की सियासत में एक खास मुकाम हासिल किया था। पार्षद से लेकर मेयर, विधायक, सांसद और मंत्री ही नहीं पार्टी के उच्च संगठनात्मक पदों तक पहुंची। किरण माहेश्वरी की पार्थिव देह को सड़क मार्ग से उदयपुर लाया जा रहा है। जहां मंगलवार को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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सियासी सफरः- 

  • किरण माहेश्वरी का जन्म 29 अक्टूबर 1961 को मध्यप्रदेश के रतलाम में हुआ था।
  • साल 1981 में उदयपुर के सत्यनारायण माहेश्वरी से विवाह हुआ और उसके बाद राजस्थान कर्म स्थली बन गया।
  • साल 1987 से 1992 तक किरण माहेश्वरी राज्य कल्याण बोर्ड की सदस्य रहीं। इसी के साथ उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई।
  • साल 1990 से 1992 तक BJP महिला मोर्चा की जिला महामंत्री बनाया गया।
  • साल 1993 से 1994 तक महिला मोर्चा देहात की जिला अध्यक्ष रहीं।
  • साल 1994 में भाजपा ने उन्हें उदयपुर के निगम चुनावों में पार्षद प्रत्याशी बनाया।
  • चुनाव जीतने के बाद पार्टी ने उनकी काबिलियत का तोहफा देते हुए उदयपुर का मेयर बनाया।
  • इसी दौरान उन्होंने उदयपुर के पहले महिला सरकारी बैंक की स्थापना की। जिसकी वह संस्थापक अध्यक्ष रही।
  • साल 2000 में उन्हें महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • साल 2002 से 2003 तक वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं।
  • साल 2004 में उदयपुर की सांसद चुनी गई।
  • इस चुनाव में किरण माहेश्वरी ने कांग्रेस की दिग्गज नेत्री गिरिजा व्यास को करारी शिकस्त दी थी।
  • साल 2004 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और 2006 में महिला मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।
  • साल 2008 में किरण माहेश्वरी ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया।
  • इसके बाद उन्होंने राजसमंद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक चुनी गई।
  • साल 2009 में भाजपा ने उन्हें अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन सचिन पायलट से हार गईं।
  • साल 2011 में भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया।
  • साल 2013 में एक बार फिर से चुनाव जीत विधानसभा पहुंचीं थीं।
  • इस बार माहेश्वरी ने 30 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।
  • जिसके बाद उन्हें वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री बना उच्च शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया।
  • साल 2018 के विधानसभा चुनावों में किरण माहेश्वरी ने कांग्रेस प्रत्याशी नारायण सिंह भाटी को 24,623 मतों से हराकर एक बार फिर राजसमंद सीट पर कब्जा किया।

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