प्रो. विनय पाठकः रचा इतिहास, लगातार आठवीं बार संभालेंगे कुलपति की जिम्मेदारी

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने एकेटीयू का चार्ज भी प्रो. पाठक को सौंपा

  • 2009 से तीन राज्यों के नामचीन विश्वविद्यालयों के कुलपति बनाए जा चुके हैं प्रो. पाठक
  • आठवीं बार में कानपुर के छत्रपति साहू जी महाराज विश्ववविद्यालयों की मिली है जिम्मेदारी 

कोटा. वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय और राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार पाठक को उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी यूनीवर्सिटी छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर का कुलपति नियुक्त किया गया है। वर्तमान उच्च शिक्षा जगत के प्रकाश स्तम्भों में से एक प्रोफेसर पाठक को कुलपति बनाए जाने का आदेश उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल जी ने गुरुवार को जारी किया। एकेटीयू के कुलपति का कार्यभार भी अग्रिम आदेशों तक उनके पास ही रहेगा।

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बड़ा नाम, बड़ी जिम्मेदारी
प्रोफेसर पाठक को आगामी तीन वर्षों के लिए छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही अब्दुल क़लाम तकनीकी विश्वविद्यालय का अतिरिक्त कार्यभार भी अग्रिम आदेशों तक उन्हीं के पास रहेगा। गौरतलब है कि इससे पूर्व प्रोफेसर पाठक वर्ष 2009 में हल्द्वानी स्थित उत्तराखंड  मुक्त विश्वविद्यालय, साल 2013 में राजस्थान के कोटा स्थित वर्धमान महावीर मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए गए थे। अगले ही साल वर्ष 2014 में ही उन्हें राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा और फिर वर्ष 2017 में हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।

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एकेटीयू में मिले लगातार दो टर्म 
इसके साथ ही प्रो. पाठक उत्तर प्रदेश के इकलौते तकनीकी विश्वविद्यालय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ के साल साल 2015 में कुलपति नियुक्त किए गए थे। जहां उन्हों लगातार छह साल तक यानि दो टर्म कुलपति की जिम्मेदारी संभाली। इसके साथ ही प्रो. पाठक साल 2021 में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के भी कुलपति रह चुके हैं। उच्च शिक्षा में प्रोफेसर पाठक के कार्यों की जमकर प्रशंसा की जाती है।

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नवाचारों ने दिलाई शौहरत 
प्रो. विनय पाठक को शिक्षा जगत में नवाचारों के लिए जाना जाता है। राजस्थान के इकलौते खुला विश्वविद्यालय (वीएमओयू) को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए उन्होंने ऑनलाइन एडमिशन की शुरुआत की थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि जिस विश्वविद्यालय में छात्र संख्या आठ दस हजार तक नहीं पहुंच पाती थी वहां एक ही सत्र में एक से डेढ़ लाख विद्यार्थी दाखिला लेने लगे। दाखिला होते ही पाठ्य सामग्री घरों तक पहुंचाना। स्टूडेंट वन व्यू के जरिए छात्रों को घर बैठे ही दाखिले से लेकर पाठ्य सामग्री और परीक्षा परिणामों की ट्रेकिंग तक की सुविधा दी। इतना ही नहीं मुक्त शिक्षा के क्षेत्र में वीडियो लेक्चर रिकॉर्ड करवा कर उन्हें यूट्यूब के जरिए देश और दुनिया भर के छात्रों के लिए उपलब्ध कराने का देश में पहला नवाचार भी प्रो. पाठक ने ही किया। वीएमओयू का यह डिजिटल प्लेटफार्म को यूट्यूब से सिल्वर बटन हासिल करने के साथ ही हर साल हजारों डॉलर विदेशी मुद्रा भी कमाकर विश्वविदायल को देता है। इतना ही नहीं प्रो. पाठक ने राजस्थान संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए नामचीन लेखकों और साहित्यकारों के साक्षात्कार खुद साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि ओम नागर से रिकॉर्ड करवाए। जो अब विश्वविद्यालय की थाती हैं।

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आसान नहीं था एकेटीयू को संभालना 
प्रो. पाठक को चौथे कुलपति के तौर पर देश के सबसे बड़े प्रदेश के इकलौते प्रावधिक विश्वविद्यालय एकेटीयू का कुलपति बनाया गया तो वहां के हालात बेहद खराब थे। कुकुरमुत्तों की तरह उत्तर प्रदेश के गांव-खेतों में खुले इंजीनियरिंग और बिजनेस मैनेजमेंट कॉलेज नकल, फर्जी दाखिले और वजीफे हड़पने के लिए खासे बदनाम थे। लेकिन, प्रो. पाठक ने दाखिले से लेकर परीक्षा परिणाम तक की पूरी प्रक्रिया का डिजिटलाइजेशन कर उनकी ऐसी नकेल कसी कि पूरा कॉलेज माफिया धराशाई हो गया। इसी के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें एक कार्यकाल पूरा होने के बाद दूसरी बार भी कुलपति की जिम्मेदारी सौंपी।

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