मकर संक्रांति : राजस्थान में यहां होती है 20 फीट लंबे मगरमच्छ की पूजा

TISMedia@Kota. देशभर में गुरुवार को मकर संक्रांति ( makar sankranti festival ) पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। अलग-अलग परम्पराओं के रंग से सजे इस पर्व देश में अलग-अलग रीति रिवाजों से मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर जहां दान-पुण्य किए जाते हैं, वहीं, राजस्थान के कोटा जिले में बंगाली समाज मगरमच्छ की पूजा-अर्चना ( worships crocodiles ) कर अपनी अनोखी परम्परा ( Unique tradition ) का निर्वाह करते हैं। बंगाली समाज ( Bengali society ) के लोगों का कहना है कि गंगा का वाहन मकरध्वज की पूजा का विधान बरसों से चला आ रहा है। इसकी पूजा कर परिवार की सुख सम्रद्धि की कामना करते हैं।

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20 फीट का बनाया मगरमच्छ
नयागांव रोझड़ी में रहने वाले बंगाली समाज के लोगों ने मकर संक्रांति पर करीब 20 फीट लंबा मिट्टी का मगरमच्छ बनाया। फिर, मगर के चारों और ढोल-ताशे बजाकर परिक्रमा करते हुए पूजा-अर्चना कर एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं दी। दरअसल, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब बंगाली समाज के लोग नदी के किनारे मिट्टी का मगरमच्छ बनाते हैं। इसके बाद उसका विधिवत रूप से शृंगार कर उसकी पूजा करते हैं।

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इसलिए करते हैं मगरमच्छ की पूजा
बंगाली समाज के लोगों का मानना है कि सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ती है तो धरती पर मात्र मगरमच्छ ही एक ऐसा जीव है, जो पानी और धरती दोनों पर समान रूप से रह सकता है। इसलिए, मगर को ही पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

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वर्षों से चली आ रही परम्परा
बंगाली समाज के लोग विधि विधान से पूजा कर पर्व मनाते हैं। समाज के लोगों ने कहा कि ये परम्परा वर्षों से चली आ रही है, जिसका निर्वाह वे आज भी कर रहे हैं। ये परम्परा उनके पूर्वजों के जमाने से चली आ रही है। पूजा के बाद समाज के लोग एक साथ पारम्पारिक भोजन करते हैं।

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