Raksha Bandhan Shubh Muhurat 2021: जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन आज, जानें भद्रा और राहुकाल का समय, कब से कब तक बांधें राखी
TISMedia@Kota रक्षाबंधन पर्व की सभी भाई बहनों को TIS Media की ओर से हार्दिक शुभकानमाएं। भाई बहन के रिश्ते का सबसे पावन त्योहार आज देश भर में धूमधाम से मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं।
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क्या कहती हैं पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन पूर्णिमा के दिन सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधी थी, इसी कारण से हजारों साल से राखी का त्योहार मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। रक्षाबंधन के दिन भाई की कलाई में राखी बांधते समय भद्राकाल, राहुकाल, ग्रहणकाल और शुभमुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। मुहूर्तशास्त्र में भद्रा और राहुकाल को बहुत ही अशुभ समय माना गया है। ऐसी मान्यता है कि भद्रा और राहुकाल के समय किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इस समय पर किया गया कोई भी कार्य सफल नहीं होता है।
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भद्रा काल में क्यों नहीं बांधते राखी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। भद्राकाल में राखी बाधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है। इसके अलावा भद्राकाल में भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं इस कारण से भी भद्रा में शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
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भद्राकाल और राहुकाल का समय
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार राखी का त्योहार भद्रारहित मुहूर्त में मनाया जाएगा। रक्षाबंधन में अशुभ कही जाने वाली भद्रा दिनभर नहीं रहेगी और शाम 04 बजकर 30 मिनट पर राहुकाल के आरम्भ होने से पहले पूरे दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, इसमें भी दोपहर 12 बजे से 01 बजे का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा।
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राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
22 अगस्त को राखी बांधने का शुभ समय सूर्योदय के साथ ही सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सूर्यास्त शाम 5 बजकर 31 तक है। हालांकि राखी बांधने का सबसे अच्छा शुभ मुहूर्त: दोपहर 12 बजे से 01 बजे तक है। बहन जब भाई के हाथ पर राखी बांधे तो इस मंत्र “येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल” का उच्चारण जरूर करें।